A stool reducing substance test measures the presence of undigested sugars (reducing substances) in the stool. It is used primarily to diagnose carbohydrate malabsorption, such as lactose intolerance or other disaccharidase deficiencies, in infants and children. The presence of reducing substances indicates that sugars are not being properly absorbed in the intestine and are being excreted in the stool. This test helps in identifying digestive disorders and guiding appropriate dietary modifications and treatments.
Stool reducing substance testing is a diagnostic procedure used to detect the presence of undigested sugars, such as lactose, glucose, fructose, and galactose, in a stool sample. This test is particularly useful for identifying carbohydrate malabsorption disorders. When these sugars are not properly absorbed in the intestine, they pass into the colon, where bacteria ferment them, leading to the production of acids and gases. The presence of reducing substances in the stool can indicate conditions such as lactose intolerance, disaccharidase deficiencies (e.g., sucrase-isomaltase deficiency), and other forms of carbohydrate malabsorption. This test is especially important in pediatric patients presenting with chronic diarrhea, bloating, and abdominal pain, helping to diagnose and manage gastrointestinal disorders. By identifying the specific malabsorption issue, healthcare providers can recommend appropriate dietary changes or treatments to improve digestive health and alleviate symptoms. Regular monitoring may be necessary to assess the effectiveness of dietary interventions and overall management.
स्टूल रेड्यूसिंग सब्स्टेंस परीक्षण एक डायग्नोस्टिक प्रक्रिया है जो स्टूल सैंपल में पचाए बिना शर्करा, जैसे लैक्टोज, ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, डायबिटीज और गैलेक्टोज की उपस्थिति का पता लगाने के लिए उपयोग की जाती है। यह परीक्षण विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट मालएब्जॉर्प्शन विकारों की पहचान के लिए उपयोगी है। जब ये शर्करा आंत में सही ढंग से अवशोषित नहीं होती हैं, तो वे कोलन में चली जाती हैं, जहां बैक्टीरिया उन्हें किण्वित कर एसिड और गैस का उत्पादन करते हैं। स्टूल में रेड्यूसिंग सब्स्टेंस की उपस्थिति से लैक्टोज इनटॉलेरेंस, डिसैकेराइडेस की कमी (जैसे, सुक्रेज-आइसोमाल्टेज की कमी) और कार्बोहाइड्रेट मालएब्जॉर्प्शन के अन्य रूप जैसी स्थितियों का संकेत मिल सकता है। यह परीक्षण विशेष रूप से उन बाल रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है जिनमें क्रॉनिक डायरिया, ब्लोटिंग और पेट दर्द जैसे लक्षण होते हैं, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों का निदान और प्रबंधन करने में मदद करता है। विशिष्ट मालएब्जॉर्प्शन समस्या की पहचान करके, स्वास्थ्य प्रदाता उचित आहार परिवर्तन या उपचार की सिफारिश कर सकते हैं ताकि पाचन स्वास्थ्य में सुधार हो और लक्षणों से राहत मिले। आहार हस्तक्षेप की प्रभावशीलता और समग्र प्रबंधन का आकलन करने के लिए नियमित निगरानी आवश्यक हो सकती है।
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