A **beta-2 microglobulin (β2M)** test measures the concentration of beta-2 microglobulin in the blood or urine. Beta-2 microglobulin is a small protein that is found on the surface of many cells, including lymphocytes, and is involved in the immune system. Here’s what the test measures: 1. **Kidney Function**: Elevated levels of beta-2 microglobulin in the blood or urine can indicate kidney dysfunction, as the kidneys are responsible for filtering this protein from the blood. High levels might suggest reduced kidney function or damage. 2. **Immune System Disorders**: It can help assess conditions related to the immune system, such as multiple myeloma or lymphomas. Elevated levels can be associated with these types of cancers. 3. **Chronic Diseases**: Increased beta-2 microglobulin levels can be seen in chronic inflammatory or autoimmune diseases, as well as in conditions affecting the lymphatic system. 4. **Disease Monitoring**: It is used to monitor disease progression and response to treatment, especially in patients with conditions like multiple myeloma or chronic lymphocytic leukemia. In summary, the beta-2 microglobulin test measures the concentration of this protein to evaluate kidney function, assess immune system disorders, and monitor disease progression in certain chronic conditions.
**बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन (β2M)** परीक्षण रक्त या मूत्र में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन की सांद्रता को मापता है। बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन एक छोटा प्रोटीन है जो कई कोशिकाओं, विशेष रूप से लिम्फोसाइट्स, की सतह पर पाया जाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली में शामिल होता है। इस परीक्षण के मुख्य पहलू निम्नलिखित हैं:
1. **किडनी की कार्यप्रणाली**: रक्त या मूत्र में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन की उच्च सांद्रता किडनी के कार्य में खराबी को संकेत कर सकती है, क्योंकि किडनी इस प्रोटीन को रक्त से फ़िल्टर करने के लिए जिम्मेदार होती है। उच्च स्तर किडनी की कार्यप्रणाली में कमी या क्षति का संकेत हो सकता है।
2. **प्रतिरक्षा प्रणाली के विकार**: यह प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित स्थितियों, जैसे कि मल्टीपल मायलोमा या लिंफोमा, का मूल्यांकन करने में मदद कर सकता है। इन प्रकार के कैंसर में उच्च स्तर देखा जा सकता है।
3. **दीर्घकालिक बीमारियाँ**: बढ़े हुए बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन स्तर को दीर्घकालिक सूजन या ऑटोइम्यून बीमारियों में देखा जा सकता है, साथ ही लिंफैटिक प्रणाली से संबंधित स्थितियों में भी।
4. **बीमारी की निगरानी**: यह बीमारी की प्रगति और उपचार के प्रति प्रतिक्रिया की निगरानी करने में उपयोगी होता है, विशेष रूप से मल्टीपल मायलोमा या क्रॉनिक लिंफोसाइटिक ल्यूकेमिया जैसे रोगों में।
संक्षेप में, बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन परीक्षण इस प्रोटीन की सांद्रता को मापता है, जिससे किडनी की कार्यप्रणाली, प्रतिरक्षा प्रणाली के विकार, और कुछ दीर्घकालिक बीमारियों की प्रगति की निगरानी की जाती है।
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